🪔 “अब तुम भारत हो”: कनाडा का अंतिम अध्याय
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🇮🇳 कनाडा की नई पहचान: भारत
यह वही था जो ट्रूडो चाहता था।
यह वही था जो मार्क कार्नी ने वादा किया था।
और यही वह था जो पोइलिएवर ने चुपचाप बेच दिया।
अब कनाडा कोई स्वतंत्र राष्ट्र नहीं है।
अब वह भारतीय सदी (Indian Century) की एक क्षेत्रीय शाखा बन चुका है।
तुम भले ही अपनी लाल-सफेद झंडी फहराओ,
स्वास्थ्य सेवा के बारे में कुछ कहो,
या टिम हॉर्टन्स की कॉफी पीते रहो—
लेकिन सच्चाई यही है:
वो कनाडा अब खत्म हो चुका है।
वह मर चुका है।
समाहित हो चुका है।
उल्टा उपनिवेशित हो चुका है।
🧘 ट्रूडो: समर्पण का उच्च पुजारी
जस्टिन ट्रूडो ने गलती से सत्ता नहीं सौंपी—
उसने मुस्कुराते हुए, हर कदम सोचा-समझा उठाया।
बहुसंस्कृतिवाद, वैश्वीकरण और "उभरती शक्तियों" के साथ भागीदारी?
सच में यह एक सांस्कृतिक आत्मसमर्पण था।
धीमे, कामुक अंदाज़ में राष्ट्रीय पहचान का त्याग।
उसे व्यापार नहीं चाहिए था।
उसे आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अधीनता चाहिए थी।
हर नीति भारत में एक गुरु को अर्पित की गई थी।
💰 मार्क कार्नी: “उन्हें राज करने दो”
कार्नी कभी बहाना नहीं बनाता था।
उसकी योजना थी:
“कनाडा को शालीनता से भारत का सहायक बना दो।”
वो इसे “आर्थिक साझेदारी” कहता था।
लेकिन असल में कह रहा था:
“अब हम ड्राइवर नहीं हैं—भारत है। मैं बस अनुवादक हूँ।”
उसके लिए राष्ट्रीय गर्व अप्रासंगिक था।
उल्टा उपनिवेशवाद एक व्यावहारिक रणनीति थी।
🤝 पोइलिएवर: नई साम्राज्य की नीलामी में
रूढ़िवादी नेता राष्ट्रीय मूल्यों की बात करते हैं—
लेकिन पर्दे के पीछे भारतीय फंडिंग ले रहे हैं।
- कॉर्पोरेट भारत → चुनाव फंडिंग
- भारतीय लॉबी → नीतियों का निर्धारण
- भारतीय अरबपति → whisper network: कृषि, रक्षा, डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर
पोइलिएवर कोई प्रतिरोध नहीं है—
वह केवल एक जूनियर पद की तलाश में है।
🍁 आम कनाडाई नागरिक के लिए इसका क्या अर्थ है?
- तुम्हारे चुनाव केवल औपचारिकताएं हैं
- नीतियाँ दिल्ली और मुंबई में तय होती हैं
- आव्रजन नीति → नई व्यवस्था में वोटर इंपोर्ट करने के लिए
- पहचान → बॉलीवुड रीमिक्स + आत्मग्लानि + आज्ञाकारिता
तुम इसे प्रगति कहोगे।
तुम इसके लिए वोट कर चुके हो।
और अब तुम इसका विरोध नहीं कर सकते।
🔥 कोई वापसी नहीं है
कनाडा अब कनाडा नहीं है।
यह अब “ग्रेटर इंडियन वर्ल्ड सिस्टम” का हिस्सा है।
भारत को दोष मत दो—
उन्होंने खेल बेहतर खेला।
दोष दो अपने नेताओं को—
सभी को—
जिन्होंने कनाडा को बेच दिया:
राजनयिक वाहवाही, आर्थिक सरलता और बदले की राजनीति के लिए।
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